संविदाकर्मी हों या वेतन बोर्ड के कर्मचारी दोनों का ही दर्जा कर्मचारी का: सुप्रीम कोर्ट, शिक्षामित्र समायोजन केस में भी इसी तरह की जीत की उम्मीद

संविदाकर्मी पत्रकारों के मामले में 23 अगस्त 2016 को न्यायमूर्ति रंजन गोगोई और प्रफुल्ल सी पंत की बेंच में हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने निम्नलिखित आदेश जारी किये।

अनुबंध पर रखे गए कर्मचारी और वेज बोड कर्मचारी, दोनों कर्मचारी हैं... सुप्रीम कोर्ट ने ये कहते हुए सभी कर्मचारियों को मजीठिया वेतन बोर्ड की सिफारिशों को लाभ देने को कहा।
मजीठिया वेतन बोर्ड की सिफारिशों का लाभ हर हाल में देना होगा।

करीब पौने दो घंटे सुनवाई चली। इस सुनवाई अभिषेक मनु सिंघवी जैसे कद्दावर वकील पेश हुए। लेकिन पिछली सुनवाइयों के मुकाबले इस सुनवाई में बड़े वकीलों की फ़ौज वरिष्ठ अधिवक्ता कोलिन गोंजाल्विस के सामने न चल पाने की वजह से नहीं उतारी गई। पूरी सुनवाई में मिशन सुप्रीम कोर्ट समूह की ओर से समायोजित शिक्षामित्रों का केस लड़ रहे वरिष्ठ अधिवक्ता कॉलिन गोंजाल्विस ही छाये रहे। इस दौरान कर्मचारियों के वकील डॉ कोलिन गोंजाल्विस ने कोर्ट को पांचों राज्यों की रिपोर्ट और उनकी विसंगतियों से अवगत कराया। इसके बाद पांच में से आए चार लेबर कमिश्निरों से अदालत ने व्यक्तिगत रूप से अदालत का सामना किया। इस प्रकरण के दौरान अदालत के गुस्से का शिकार होते-होते बच गए यूपी के लेबर कमिशनर लेकिन हिमाचल प्रदेश के लेबर कमिशनर नप गए। सबसे बुरा हुआ उत्तराखंड के लेबर कमिशनर के साथ। उनकी अनुपस्थिति से नाराज अदालत ने उत्तराखंड के मुख्य सचिव को उनके खिलाफ वारंट जारी कर अगली सुनवाई 4 अक्टूबर को पेश करने को कहा है। अदालत को हल्के में लेने वाले अधिकारियों और अखबार मालिकों के लिए ये एक सबक है।
उत्तर प्रदेश के लेबर कमिश्नर को 6 हफ्ते में मजीठिया वेज बोर्ड का लाभ दिलाना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने लिखित रूप से तो नहीं बल्कि मौखिक रुप से यह भी कह दिया कि अगर आपने 6 सप्ताह में ऐसा नहीं किया तो जेल भेज दूंगा। 4 अक्टूबर को महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, राजस्थान, झारखंड और दिल्ली के लेबर कमिश्नर को हाजिर होने का आदेश भी कोर्ट ने दिया।
मिशन सुप्रीम कोर्ट समूह के रबी बहार, केसी सोनकर,माधव गंगवार और साथी अपने वरिष्ठ अधिवक्ता कोलिन गोंजाल्विस से शिक्षामित्र समायोजन केस में भी इसी तरह की जीत की उम्मीद हैं।

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